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दिवाली से पहले जयपुर में बड़ा एक्शन, तीन हजार किलो से ज्यादा मिल्के केक फेंका

राजस्थान सरकार के शुद्ध आहार मिलावट पर वार अभियान के तहत बुधवार रात राजधानी जयपुर के ग्रामीण क्षेत्र में एक बड़ी कार्रवाई की गई है। खाद्य सुरक्षा विभाग की संयुक्त टीम ने बस्सी तहसील के रूपा की नांगल स्थित एक कारखाने में छापा मारकर लगभग 3000 किलोग्राम मिलावटी मिल्क केक को नष्ट करवाया। दीपावली से पहले बाजार में ऊंचे दामों पर बिकने वाला यह ज़हरीला स्टॉक अगर सप्लाई हो जाता, तो हज़ारों लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता था।

ताला तोड़कर पकड़ा गया मिलावट का जखीरा

कमिश्नरेट की सेंट्रल टीम और सीएमएचओ जयपुर द्वितीय की टीम को गुप्त सूचना मिली थी कि रूपा की नांगल की जैन वाटिका में बड़े पैमाने पर मिलावटी मिल्क केक बनाया जा रहा है। रात में जब टीम मौके पर पहुंची, तो कारखाने के मिल्क केक निर्माण वाले हिस्से पर ताला लगा मिला। शुरुआती आनाकानी के बाद अधिकारियों की सख्ती पर जब ताला खुलवाया गया, तो अंदर का नज़ारा चौंकाने वाला था।

सूजी, तेल और ग्लूकोज से बन रहा था दूध का केक

निरीक्षण के दौरान टीम को 5 किलो के 600 डिब्बों में पैक किया हुआ 3000 किलो तैयार मिलावटी मिल्क केक मिला। जांच में खुलासा हुआ कि जिसे शुद्ध दूध का केक, बताकर बेचा जाना था, वह वास्तव में सूजी, रिफाइंड सोयाबीन तेल, लिक्विड ग्लूकोज और मिल्क पाउडर जैसी घटिया सामग्री से तैयार किया जा रहा था। डॉ. मनीष मित्तल, सीएमएचओ जयपुर द्वितीय, ने बताया कि मौके पर लगभग 2500 किलो कच्चा माल भी स्टॉक में रखा था, जिससे दीपावली तक 5000 किलो और मिलावटी मिठाई बनाने की तैयारी थी।

जयपुर, दौसा से सीकर तक फैला था मिलावट का नेटवर्क

पूछताछ में यह भी सामने आया कि कारखाना संचालक पिछले दो साल से यह गोरखधंधा चला रहा था। उसके मिलावटी मिल्क केक का नेटवर्क सिर्फ जयपुर तक सीमित नहीं था, बल्कि सीकर, श्रीमाधोपुर और चौमू जैसे बड़े कस्बों और शहरों तक फैला हुआ था। वह इस घटिया मिल्क केक को मात्र 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचता था, जिससे निर्माण की कम लागत और मिलावट की पुष्टि होती है।

सेंट्रल टीम ने तैयार मिल्क केक के नमूने जांच के लिए भेजे हैं, जबकि बाकी 3000 किलो मिलावटी माल को मौके पर ही नष्ट कर दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि यह कार्रवाई मुनाफाखोरी के लिए जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों के लिए एक कड़ा संदेश है।

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Kota Suicide: ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट में हुई 5 लाख की ठगी तो महिला ने उठाया खौफनाक कदम, कमरे में पहुंचा शिक्षक पति तो इस हाल में मिली पत्नी

40 Year Married Woman Committed Suicide: कोटा के कैथूनीपोल थाना क्षेत्र में बुधवार को एक महिला ने ऑनलाइन निवेश में पांच लाख रुपए गंवाने के बाद परेशान होकर खुदकुशी कर ली। मृतका की पहचान ऊषा वर्मा (40) के रूप में हुई है।

परिजनों का कहना है कि ऊषा ऑनलाइन निवेश से जुड़े धोखाधड़ी के जाल में फंस गई थी जिससे मानसिक तनाव में उसने यह कदम उठाया। जानकारी के अनुसार ऊषा के पति हरीश वर्मा एक निजी स्कूल में शिक्षक हैं जबकि ऊषा गृहणी थी।

हरीश के मुताबिक ऊषा ने शुरुआत में 8 से 10 हजार रुपए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निवेश किए थे जिसके बदले उसे तीन गुना राशि वापस मिली। लाभ देखकर उसने धीरे-धीरे निवेश बढ़ाया और कुल करीब 5 लाख रुपए निवेश कर दिए। कुछ समय बाद ठगों ने उसे ब्लॉक कर दिया जिससे वह मानसिक रूप से टूट गई।

बुधवार को कमरे में अचेत मिलने पर परिजनों ने उसे एमबीएस अस्पताल में भर्ती कराया जहां देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। सूचना पर कैथूनीपोल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को मोर्चरी में रखवाया गया।

सीआइ पुष्पेन्द्र बंसीवाल ने बताया कि परिजनों ने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया है लेकिन मामला आत्महत्या का है। ऐसे में पुलिस ने मृग में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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सरस डेयरी ने पशुपालकों को दिया दिवाली का तोहफा, दूध खरीद के दाम बढ़ाए

दिवाली से पहले सरस डेयरी ने पशुपालकों को बड़ी सौगात दी है। अलवर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ (सरस डेयरी) ने दूध खरीद दरों में बढ़ोतरी करते हुए अब 100 रुपए प्रति लीटर (100 प्रतिशत फैट होने पर) के हिसाब से दूध खरीदने की घोषणा की है। यह दर राज्य में सबसे अधिक है।

अब तक डेयरी की ओर से पशुपालकों से 90 रुपए प्रति लीटर (100 प्रतिशत फैट होने पर) दूध खरीदा जा रहा था। साथ ही मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत 5 रुपए प्रति लीटर का अतिरिक्त भुगतान किया जाता था, लेकिन अब इस दर में संशोधन करते हुए सरस डेयरी ने 95 रुपए प्रति लीटर ( तय फैट के अनुसार) और 5 रुपए सीएम संबल योजना के रूप में जोड़कर कुल 100 रुपए प्रति लीटर का भुगतान तय किया है। नई दरें अलवर, खैरथल-तिजारा और कोटपूतली-बहरोड़ जिलों में संचालित सभी सरस डेयरी समितियों पर 16 अक्टूबर सुबह और शाम की पारी में लागू होंगी।

दूध खरीद की दरें बढ़ाने की पशुपालक लंबे समय से मांग कर रहे थे। उनकी इस मांग को पूरा करते हुए खरीद के दाम बढ़ाए गए हैं। – नितिन सांगवान, चेयरमैन, सरस डेयरी अलवर

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Rajasthan : फर्जी प्रमाणपत्र से चुनाव लड़ा, महिला सरपंच को तीन वर्ष की सजा

सरदारशहर. स्थानीय एसीजेएम न्यायालय ने आठवीं कक्षा का फर्जी प्रमाणपत्र पेश कर चुनाव लडने के मामले में रंगाईसर ग्राम पंचायत की सरपंच संतोष देवी को तीन वर्ष के कारावास की सजा से दंडित किया है। कोर्ट ने संतोष देवी को फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वाले सरस्वती उच्च प्राथमिक विद्यालय, ढिंगारला (राजगढ़) के प्रधानाध्यापक लीलाधर पूनिया को भी तीन साल की सजा सुनाई है।

मामले के अनुसार उक्त चुनाव में सरपंच पद की प्रत्याशी कमला ने पुलिस थाना, सरदारशहर में इस आशय का परिवाद पेश किया कि रंगाईसर ग्राम पंचायत के सरपंच पद के 1 फरवरी, 2015 को सपन्न हुए चुनावों में संतोष देवी की ओर से निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आठवीं कक्षा उत्तीर्ण होने की मिथ्या घोषणा व फर्जी प्रमाण पत्र पेश किया गया है, जबकि वह आठवीं उत्तीर्ण नहीं है।

पेश किए 15 गवाह

पुलिस की ओर से जांच के बाद मामला सही पाए जाने पर संतोष देवी तथा फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने के आरोपी स्कूल के प्रधानाध्यापक लीलाधर पुत्र सोहनराम निवासी मूंदी बड़ी के विरुद्ध कोर्ट में चालान पेश किया। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 15 गवाह तथा 45 दस्तावेज पेश किए गए।

कोर्ट ने माना गंभीर अपराध

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नवनीत गोदारा ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपने निर्णय में कहा कि संतोषदेवी इस स्कूल में 1998-99 में आठवीं उत्तीर्ण होना बताई, जबकि उस समय इस विद्यालय को कोई मान्यता ही प्राप्त नहीं थी, न ही अभियुक्ता ने यहां अध्ययन कर कभी आठवीं कक्षा उत्तीर्ण की। अभियुक्ता ने फर्जी प्रमाण पत्र से चुनाव प्रक्रिया में भाग लिया व निर्वाचित भी घोषित हुई, जो गंभीर प्रकृति का अपराध है। कोर्ट ने दोनों दोषियों को बीएनएस की विभिन्न धाराओं में दोषी मानते हुए तीन-तीन वर्ष के कारावास की सजा से दंडित किया है। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में सहायक अभियोजन अधिकारी डा प्रकाश गढ़वाल ने पैरवी की।

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Jaisalmer Bus Fire Update : मृतकों की संख्या 22 पहुंची, परिजनों को शव सौंपने की प्रक्रिया शुरू, मुआवजा के लिए धरने पर बैठे लोग

Jaisalmer Bus Fire Update : जैसलमेर बस हादसे में लगातार नए अपडेट आ रहे हैं। जैसलमेर बस हादसे में 90 फीसद तक गंभीर रूप में झुलसी महिला बागा देवी ने दम तोड़ दिया। जिसके बाद मृतकों की संख्या अब 22 हो गई है। 4 व्यक्ति अभी भी वेंटिलेटर पर हैं। एफएसएल ने बुधवार को 19 अज्ञात मृतकों के नमूने व शवों की पहचान के लिए उनके परिजन के रक्त नमूने लिए थे। FSL की टीम ने पूरी रात कार्य कर 16 अक्टूबर की सुबह 7 बजे तक 18 शवों की शिनाख्त कर दी गई। एक शव की पहचान परिजनों के रक्त नमूनों के अभाव में नहीं की जा सकी। इसके साथ ही डीएनए परीक्षण व पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को शव सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर ​दी गई है।

वहीं जोधपुर महात्मा गांधी अस्पताल मोर्चरी में शेरगढ़ से आए परिजन और ग्रामीणों ने शव लेने से इनकार दिया है। उचित मुआवजा देने की बात पर अग्निकांड में 5 मृतकों के परिजन एवं ग्रामीण धरने पर बैठ गए हैं।

परिजनों को शव सौंपने की प्रक्रिया शुरू

जैसलमेर बस हादसे में मृतकों की संख्या अब तक 22 हो गई है। इसके साथ ही जिला प्रशासन ने डीएनए परीक्षण व पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को शव सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रशासन के अनुसार यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक शव को पूर्ण सम्मान और संवेदनशीलता के साथ उनके पैतृक गांव या निवास स्थान तक पहुंचाया जाए। प्रत्येक एम्बुलेंस के साथ एक सरकारी कर्मचारी और एक पुलिस कांस्टेबल को भेजा जा रहा है, ताकि मार्ग में किसी प्रकार की असुविधा या परेशानी न हो।

जिला प्रशासन की प्राथमिकता है कि इस कठिन समय में हर परिजन को हरसंभव सहयोग और सहायता मिले। जोधपुर और जैसलमेर दोनों जिलों की टीमें निरंतर संपर्क और समन्वय में कार्यरत हैं, ताकि प्रभावित परिवारों को समय पर सहयोग मिल सके।

Jaisalmer Bus Fire Update
उचित मुआवजा देने की बात पर परिजन एवं ग्रामीण धरने पर बैठे। पत्रिका फोटो

एम्स और एमजीएच में रखे शवों की स्थिति

डीएनए परीक्षण रिपोर्ट के बाद 9 शव एम्स हॉस्पिटल और 9 शव महात्मा गांधी हॉस्पिटल (एमजीएच) जोधपुर में रखे गए हैं। इनकी पहचान हो चुकी है।

एम्स हॉस्पिटल में रखे शवों के नाम

जितेश चौहान
महेन्द्र (लवारण)
खुशी (लवारण)
इरफान खान (बम्बोरो की ढाणी)
बरकत खान (बासनपीर)
शाहरूख खान (चाम्पला)
अयुब खान (बासनपीर)
बसीरा (बासनपीर)
जसु (कोटड़ी)

एमजीएच हॉस्पिटल में रखे शवों के नाम

स्वरूप (जोधपुर)
गोपीलाल (लाठी)
जोगराज सिंह (झलारिया)
पार्वती (लवारण)
दीक्षा (लवारण)
शौर्य (लवारण)
दीपक (जैसलमेर)
राजेन्द्र सिंह चौहान (जैसलमेर)
हसीना (बम्बोरो की ढाणी)

एक शव की अब तक पहचान नहीं

कुल 19 शवों में से एक शव की अब तक पहचान नहीं हो पाई है, जो एम्स हॉस्पिटल में रखा हुआ है।

इन हेल्पलाइन नंबरों पर तत्काल संपर्क करें

प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि यदि किसी को बस दुखांतिका में किसी लापता व्यक्ति की जानकारी हो तो नीचे दिए गए हेल्पलाइन नंबरों पर तत्काल संपर्क करें।
महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबर
जोधपुर जिला नियंत्रण कक्ष
📞 0291-2650349, 2650350
महात्मा गांधी अस्पताल, जोधपुर:
📞 09414159222
जैसलमेर ट्रॉमा सेंटर, जवाहर अस्पताल
📞 9460106451, 9636908033
जैसलमेर हेल्पलाइन
📞 9414801400, 8003101400
📞 02992-252201, 02992-255055

बस हादसे की जांच के लिए बनाई कमेटी

परिवहन आयुक्त शुचि त्यागी ने बताया कि हादसे की जांच के लिए अतिरिक्त आयुक्त ओपी बुनकर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है। कमेटी में जयपुर आरटीओ द्वितीय धमेन्द्र चौधरी, परिवहन निरीक्षक नवनीत बाठहड़, रोडवेज के ईडी इंजीनियरिंग रवि सोनी सहित जोधपुर रोडवेज अधिकारी को शामिल किया गया है।

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सस्टेनेबल लॉजिस्टिक के क्षेत्र सॉल्ट ट्रेलर्स का आगाज

जिंदल स्टेनलेस की पहल, गुजरात और राजस्थान के प्रमुख फ़्लीट एवं परिवहन ऑपरेटर्स इन ट्रेलरों को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए कर रहे मूल्यांकन

जयपुर. जिंदल स्टेनलेस ने हाल ही में अत्याधुनिक ‘सॉल्ट टिपर ट्रेलर’ लॉन्च किया। सॉल्ट ट्रेलरों में स्टेनलेस स्टील के उपयोग से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं, जैसे जंग लगना, कम सस्टेबेनलिटी, सीमित उपयोग अवधि और उच्च रखरखाव खर्च, का समाधान संभव होगा। सॉल्ट ट्रेलर के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली पारंपरिक पदार्थ पर आमतौर पर 3-4 वर्षों में ज़ंग लग जाता है, जिससे कामकाज में रुकावट आती है और मरम्मत का खर्च बढ़ जाता है। इसके विपरीत, स्टेनलेस स्टील के इस्तेमाल से ट्रेलर का वजन लगभग 25% तक कम हो जाता है, जो अन्य कारणों के साथ मिलकर 10 वर्षों में लगभग 25–30 लाख रुपए की लागत बचत और लगभग 15–20 वर्षों की अनुमानित आयु प्रदान कर सकता है। गुजरात और राजस्थान के प्रमुख फ़्लीट एवं परिवहन ऑपरेटर्स इन ट्रेलरों का अपने संयुक्त बेड़े में तैनाती के लिए मूल्यांकन कर रहे हैं। जिंदल स्टेनलेस के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने बताया कि यह नया लॉन्च खासकर सांभर, कुचामन और नावा जैसी जगहों में लॉजिस्टिक के लिए उपयोगी होगा, जहां नमक का उत्पादन होता है।
इंडस्ट्री से जुड़ीं रिपोर्टों के अनुसार, भारत के ट्रेलर ट्रक बाजार में प्रतिवर्ष लगभग 70,000 ट्रेलरों की मांग होती है, जिससे नमक की ढुलाई समेत विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताएं पूरी होती हैं। गुजरात इस इनोवेशन की शुरुआत के लिए सबसे उपयुक्त जगह है, क्योंकि हर साल भारत में 33- 35 मिलियन टन नमक उत्पादन में से 85% से अधिक उत्पादन इसी राज्य में होता है। गुणवत्ता और बड़े पैमाने पर उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए, जिंदल स्टेनलेस प्रमाणित फैब्रिकेटरों और आईटीआई से प्रशिक्षित विशेषज्ञों के साथ काम कर रही है। कंपनी स्टेनलेस स्टील अकादमियों के जरिये कर्मचारियों को कुशल बनाने पर भी जोर दे रही है। इसके अलावा, वह उद्योग संघों और सरकारी लॉजिस्टिक्स संस्थाओं के साथ मिलकर ज़ंग से प्रभावित नमक और दूसरे परिवहन क्षेत्रों में स्टेनलेस स्टील ट्रेलरों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है।

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गैंगस्टर आनंदपाल के किलेनुमा टॉर्चर हाउस पर चला बुल्डोजर

-प्रशासन ने भारी पुलिसबल की मौजूदगी में किया ध्वस्त

– भवन को गिराने में लगेंगे 24 घंटे और, भवन देखकर छात्राओं को लगता था भय

डीडवाना. प्रशासन ने कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के टॉर्चर हाउस को बुधवार को ध्वस्त कर दिया। भारी पुलिस की मौजूदगी में जेसीबी से इसे ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की गई। हालांकि पूरी दिन की कार्रवाई के बाद भवन आधा ही गिर पाया, पूरी तरह से जमींदोज करने में 24 घंटे और लगेंगे। 8 बीघा जमीन के एक हिस्से में बना यह टॉर्चर हाउस 2016 में उसकी फरारी के दौरान कुर्क कर राजकीय संपत्ति घोषित कर दिया गया था। पुलिस ने आनंदपाल को जून 2017 को एनकाउंटर में मार गिराया था। अब इस आठ बीघा भूमि में राजकीय बालिका महाविद्यालय संचालित है, अब भवन को गिराने की कार्रवाई की गई।

पुलिस अधीक्षक ऋचा तोमर ने बताया कि आनंदपाल ने निंबी जोधा रोड के पास इस फार्महाउस में टॉर्चर रूम तैयार कर रखा था। यहां वह अपने विरोधियों और फिरौती के लिए अगवा किए गए लोगों को यातनाएं देता था। इस भवन को आनंदपाल ने किले जैसा बनवाया था। दीवारों में छेद बने थे, जिससे बाहर की ओर गोलीबारी की जा सकती थी। राजकीय कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर गजादान चरण के अनुसार यह भवन महिला कॉलेज परिसर में छात्राओं में भय का कारण बना था। एसपी ऋचा तोमर ने बताया कि यह भवन आनंदपाल की आपराधिक गतिविधियों की याद दिलाता था, इसलिए इसे हटाने का निर्णय लिया गया। कार्रवाई में पुलिस उप अधीक्षक विक्की नागपाल, तहसीलदार अनिरुद्ध देव पांडेय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिमांशु शर्मा (डीडवाना), उपखंड अधिकारी मीनू वर्मा, थानाधिकारी महीराम विश्नोई शामिल रहे।

कोर्ट में चल रहा विवाद

ध्वस्त की गई इमारत और भूमि को लेकर कोर्ट में वाद विचाराधीन है। सांवराद निवासी दलित सीतादेवी पत्नी धर्मेन्द्र ने दावा किया है कि यह भूमि उनकी खातेदारी में है। उन्होंने प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है, जो फिलहाल विचाराधीन है। स्थानीय नागरिकों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन ने यह कदम हाल ही में हुए कुचामन के रमेश रुलानिया हत्याकांड में अपनी नाकामी और जनाक्रोश से ध्यान भटकाने के लिए उठाया है।

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पटाखा दुकान में सेंध : छत के रास्ते अंदर घुसे चोर ने 4 कर्टन-कट्टे पटाखों के पार

– शहर के व्यस्तम गांधी चौक पर मंगलवार रात की वारदात

मेड़ता सिटी.

शहर के गांधी चौक स्थित एक पटाखे की दुकान में मंगलवार देर रात अज्ञात चोर 4 कट्टों में रखे पटाखे चुराकर ले गए। दो युवक बाइक पर आए। जिसमें से एक युवक दुकान के पास उतरा गया और दूसरा बाइक लेकर वापस चला गया। इसके बाद युवक छत के रास्ते दुकान में घुसा पटाखों का माल लेकर फरार हो गया।

गांधी चौक में स्थित व्यापारी अशोक के पटाखे की दुकान में रात करीब 2:15 बजे युवक छत से खिड़की के रास्ते अंदर घुसा। उसने दुकान में रखे कार्टन और कट्टों को एक-एक कर नीचे गिराया और तीन से चार कट्टों में भरा हुआ पटाखों का माल बाहर निकाला। बताया जा रहा है कि सामने की दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरी वारदात कैद हो गई,। जिसमें युवक बार-बार अंदर-बाहर आता-जाता नजर आ रहा है। करीब 4:00 बजे के आसपास वह माल लेकर फरार हो गया। सुबह जब दुकान मालिक दुकान पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि छत का एक हिस्सा खुला हुआ है और अंदर पटाखों के कई कट्टे गायब हैं। उन्होंने तुरंत आसपास के व्यापारियों को सूचना दी। कुछ ही देर में मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। सीसीटीवी फुटेज देखने पर सामने चोरी की पूरी वारदात के बारे में पता चला। शाम को व्यापारी थाने में मामला दर्ज करवाने के लिए पहुंचा।

रात को रहती है चहल-पहल, फिर भी नहीं हुआ किसी को शक

स्थानीय लोगों के अनुसार, गांधी चौक क्षेत्र में रात के समय भी लोगों की आवाजाही बनी रहती है। देर रात तक कुछ ठेले व चाय की दुकानें भी चलती रहती हैं। इसके बावजूद किसी को चोरी की भनक तक नहीं लगी। दीपावली से पहले चोरी की इस वारदात के बाद अन्य व्यापारी सतर्क हो गए हैं। इन दिनों में पटाखों, मिठाइयों और कपड़ों की दुकानों में माल की भरमार रहती है। व्यापारियों ने रात को पुलिस गश्त बढ़ाने की मांग की है।

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सक्रिय सिंडिकेट का चौथा बदमाश गिरफ्तार, तीन पहले ही सलाखों के पीछे

आरोपी के विरूद्ध गंभीर अपराधों के प्रकरण दर्ज

बारां/कवाई. पुलिस ने बुधवार को सक्रिय संगठित गिरोह के बदमाश को गिरफ्तार किया है। यह कई दिनों से वांछित था। अभियुक्त एक सक्रिय संगठित गिरोह का सदस्य है और अन्य व्यक्तियों को अपराध में सम्मिलित कर अपराध को बढ़ावा देता है। कोटा जिला निवासी आरोपी शाहबुद्दीन पुत्र कालू खान कोटा रेंज कोटा के कई थाना क्षेत्रों में मन्दिर चोरी, लूट, डकैती व नकबजनी जैसी घटनाओं में शामिल है।

कई महीनों से फरार था आरोपी

पुलिस अधीक्षक अभिषेक अंदासु ने बताया कि वांछित एवं फरार अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश चौधरी के के सुपरविजन व पुष्पेन्द्र ङ्क्षसह आढ़ा वृताधिकारी अटरु के नेतृत्व में कवाई थानाधिकारी देवकरण चौधरी की टीम का गठन किया गया। दर्ज प्रकरण के अनुसार आरोपी कई माह से फरार था। काफी प्रयास के बावजूद भी गिरफ्तार नहीं होने पर टीम ने कवाई में दर्ज लूट के प्रकरण के वांछित अभियुक्त शाहबुद्दीन पुत्र कालू खान 36 वर्ष निवासी गडे1पान की झोपडिय़ा थाना सीमलिया को दबिश देकर गिरफ्तार किया है।

पूछताछ जारी, कई मामले और खुलेंगे

पुलिस ने बताया कि इस मामले में तीन आरोपियों शाकिर शूटर, राजेन्द्र उर्फ राजू व नरेश मीणा को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार आरोपी शाहबुद्दीन कोटा रेंज कोटा के कई थाना क्षेत्रों में मन्दिर चोरी, लूट, डकैती व नकबजनी जैसे संगठित अपराध की घटनाओं में शामिल है। आरोपी से पूछताछ की जा रही है। इसकी संलिप्तता पाई गई है। जिनके संबंध में आरोपी से गहनता से अनुसंधान किया जा रहा है।

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सुरक्षा के माकूल बंदोबस्त न नियमों की पालना, एसी बसों में आपातकालीन द्वार, नॉन एसी में नहीं

जैसलमेर में निजी एसी बस की आग ने पूरे देश व प्रदेश को झकझोर दिया है और अब तक इस हादसे में 21 जनों की मौत हो चुकी है और कई और जिंदगी व मौत के बीच झूल रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर सडक़ों पर धड़ल्ले से दौडऩे वाली निजी बसों में सुरक्षा के इंतजामों का मुद्दा उभर कर सामने आया है। पत्रिका टीम ने जैसलमेर व पोकरण में क्षेत्र में संचालित निजी बसों की पड़ताल की तो उनमें न तो आग लगने जैसी दुर्घटना से तुरंत बचाव के लिए सुरक्षा के इंतजाम नजर आए और इक्का-दुक्का बसों को छोड़ कर किसी में प्राथमिक उपचार तक की व्यवस्था उपलब्ध नहीं दिखी। गौरतलब है कि जैसलमेर से लगभग प्रतिघंटा निजी बस पोकरण होते हुए जोधपुर जाती है, इसके अलावा जयपुर, अहमदाबाद, उदयपुर, बीकानेर, कोटा, बाड़मेर, सहित दिल्ली, मुंबई, पुणे, सूरत, भीलवाड़ा सहित लंबे रूट्स पर निजी बसों का संचालन होता है। ये बसें एसी व नॉन एसी होने के साथ सीटिंग व स्लीपर दोनों तरह की हैं। कई बसें स्टेज कैरिज नहीं होने के बावजूद हर गांव-ढाणी के बस स्टैंड पर रुकती और सवारियां लेती व उतारती है।

कुल 211 बसों को परमिट

जिला परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जैसलमेर जिले से कुल 211 बसों को परमिट किया गया है। इसमें ऑल इंडिया के 21, स्टेट कैरिज (अन्य) के 85, स्टेट कैरिज (ग्रामीण) के 42, कॉन्ट्रेक्ट कैरिज (ऑल राजस्थान) के 22 और कॉन्ट्रेक्ट कैरिज (सम्भागीय) के 41 परमिट जारी किए गए हैं।

एसी में 2 तो नॉन एसी में 1 दरवाजा

  • हादसे के बाद बुधवार को जैसलमेर व पोकरण में बसों की वास्तविकता देखी गई। एक दर्जन से ज्यादा बसों की जांच किए जाने पर एसी बसों में मुख्य द्वार के अलावा आपातकालीन द्वार भी बना हुआ था। दूसरी तरफ नॉन एसी बसों में केवल आगे मुख्य द्वार ही मिला। कोई आपातकालीन दरवाजा या खिडक़ी नहीं मिली।
  • लोक परिवहन से संबंध बसें कंपनी से बनी-बनाई ली जाती है। जबकि निजी यात्री बसों के लिए कंपनी से चैसिस लेते हैं और बाजार से उसकी बॉडी बनाई जाती है। इस दौरान यात्रियों की सुविधा का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है।
  • दोनों तरफ सीटों के बाद बीच में गैलेरी में जगह बिल्कुल कम रहती है। दो यात्री एक साथ नहीं निकल पाते हैं। ऐसे में कोई आपातकालीन स्थिति में यात्रियों को बाहर निकलने के दौरान उनके फंसने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

यहां नियम ताक पर

  • जैसलमेर जिले में बसों की बॉडी बनाने का काम नहीं होता। जोधपुर में करीब 3-4 दर्जन लोग बसों की बॉडी बनाने का काम करते हैं। इसके अलावा स्थानीय टे्रवल कम्पनियों वाले यह कार्य उदयपुर आदि शहरों से भी करवाते हैं।
  • सीटिंग, स्लीपर, एसी व नॉन एसी बसों की चैसिस 11, 12 व 13.5 मीटर की आती है। नियमों के अनुसार 11 मीटर में 52 सीटर की सीटिंग बस की बॉडी बनती है। 12 मीटर में 5 स्लीपर और 13.5 मीटर में 6 स्लीपर बनते है। जिले में संचालित अधिकांश स्लीपर एसी व नॉन एसी बसों की चैसिस 12 मीटर की है। जिनमें नियमों को ताक पर रखकर 6 स्लीपर बनाई जाती है।
  • परिवहन विभाग की ओर से बिना किसी जांच पड़ताल के ऐसी बसों को परमिट दे दिया जाता है। जिससे यात्रियों को बैठने में भी परेशानी होती है।
  • बसों के स्लीपर में एक तरफ एक सीट एवं दूसरी तरफ दो सीट होती है। जबकि निजी बसों के संचालकों की ओर से एक सीट पर 3 तो 2 सीट पर 6 सवारियों को बिठाया जाता है। ऐसे में यात्रियों को बैठने में तो परेशानी होती ही है, उनका दम भी घुटने लगता है।

जिम्मेदारों की अनदेखी भी बड़ा कारण

इस तरह का हादसा होने के बाद हर कोई कारणों की पड़ताल में जुटा है लेकिन एक बात तय है कि समय रहते जिला प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी शायद ही कभी इन बसों की स्थिति, नियमों की पालना के हालात आदि जानने के लिए निरीक्षण करते हैं। जबकि जिले की कमान उनके पास है। निजी बसों के संचालक अपनी मनमानी के लिए वर्षों से कुख्यात हैं, इसके बावजूद उनके खिलाफ कभी-कभार किसी तरह का बड़ा हादसा होने पर रस्मी कार्रवाइयां भर कर दी जाती हैं। थोड़े दिनों बाद सबकुछ पुराने ढर्रे पर लौट आता है।

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