Jaisalmer Bus Fire: 19 लोग जिंदा जले… एक की अस्पताल में हुई मौत, सीएम भजनलाल पहले जैसलमैर फिर जोधपुर पहुंचे

जोधपुर। जैसलमेर में हुए बस अग्निकांड में कुल 20 लोगों की मौत हुई है। 19 लोगों की जिंदा जलकर मौके पर ही मौत हो गई। वहीं एक व्यक्ति की जोधपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई। सीएम भजनलाल शर्मा हादसे के बाद खुद जैसलमेर पहुंचे, जहां पर बस में आग लगी। जैसलमेर बस हादसे में नष्ट हुई बस का सीएम ने निरीक्षण किया। इसके बाद वे जोधपुर पहुंचे।

जैसलमेर पहुंचने पर सीएम भजनलाल शर्मा ने आर्मी के जवानों एवं स्थानीय नागरिकों द्वारा इस हादसे में की गई मदद एवं सहायता के लिए सभी का आभार जताया एवं धन्यवाद दिया। इस दौरान पोखरण के विधायक प्रताप पूरी एवं विधायक सांग सिंह भाटी सहित प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना की गंभीरता एवं दुखांतिका के कारण कल पटना में प्रचार का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है।

CM Bhajan Lal Sharma
जैसलमेर में बस का निरीक्षण करने पहुंचे सीएम भजनलाल शर्मा (फोटो-पत्रिका)

घायलों का सीएम ने जाना हाल

जैसलमेर की अस्पताल से 16 गंभीर घायलों को जोधपुर की महात्मा गांधी अस्पताल रेफर किया गया था, जिसमें से एक व्यक्ति की मौत हुई है। सीएम भजनलाल शर्मा जैसलमेर के बाद जोधपुर की महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती हादसे में घायल व्यक्तियों से मिले। इस दौरान सीएम के साथ कई मंत्री और विधायक के अलावा प्रशासनिक अमला मौजूद रहा। इसके बाद सीएम भजनलाल पीडितों के परिजनों से मुलाकात करेंगे।

पुलिस महानिरीक्षक ने दी जानकारी

पुलिस महानिरीक्षक रेंज जोधपुर राजेश मीणा ने बताया कि हादसे में 19 यात्रियों की मौके पर ही जिंदा जलने से मृत्यु हो गई। 16 यात्रियों को जोधपुर रेफर किया गया था। इसमें एक की मृत्यु हो गई। कुल 20 की मृत्यु हुई है।

बिल्कुल नई बस थी

राजेश मीणा ने बताया कि बस बिल्कुल नई थी। एक अक्टूबर को ही बस का रजिस्ट्रेशन हुआ था और यह संभवत: उसका तीसरा चक्कर था। बैटरी में शॉर्ट सर्किट हुआ था। एसी की वायरिंग में भी शॉर्ट सर्किट हुआ था। फिर पर्दों और ज्वलनशील रैग्जीन की सीटें चपेट में आने से आग भीषण हो गई। इस संबंध में और जांच की जाएगी।

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Jaipur Leopard Safari झालाना जंगल के मुख्य द्वार पर लेपर्ड की साइटिंग, पर्यटक रोमांचित

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Nagaur patrika…किले की ढाल से सदर बाजार तक झिलमिलाया बाजार: दीपोत्सव के रंग में रंगने लगा शहर…VIDEO

नागौर. दीपावली को अब महज पांच दिन शेष रह गए हैं। दीपोत्सव महापर्व के नज़दीक आने के साथ ही बाजार का रंग बदलने लगा है। किले की ऐतिहासिक ढाल से लेकर सदर बाजार तक दुकानों पर सामान सजे हुए नजर आने लगे हैं। शाम को सात से आठ बजे तक बंद होने वाला बाजार अब शाम रंग-बिरंगी रोशनी में बदलने लगा है। दुकानों के बाहर झिलमिलाती झालरों की कतारें, दीयों की लौ की रोशनी में बाजार का रंग बदल चुका है। लोगों को चहल

कपड़ा बाजार में फैशन और परंपरा का संगम
शहर का कपड़ा बाजार इस समय रंगों की रोशनी में चमकने लगा है। पारंपरिक परिधानों की दुकानों पर भी भीड़ अब होने लगी है। दुपट्टों की झिलमिल, साडिय़ों की चमक और परिधानों में पारंपरिक डिज़ाइनों में ढले कपड़ों की खरीद करती महिलाओं की भीड़ से बाजार अब मुस्कराता नजर आ रहा है। दुकानदारों में राजेन्द्र असावा से बातचीत हुई तो इनका कहना है कि इस बार भी ग्राहकों की रुचि पारंपरिक परिधानों से के प्रति घटी नहीं है। इसमें गोटा-पट्टी, और राजस्थानी प्रिंट वाली साडिय़ों की मांग बढ़ी है। इसके साथ ही दुकानों पर युवाओं के बीच नए डिजाइन के कुर्ते और इंडो-वेस्टर्न परिधानों के लुक वाले कपड़े खूब बिक रहे हैं। कपड़ा बाजार में इस बार फैशन और परंपरा का मिलाजुला संगम नजर आ रहा है।

सर्राफा बाजार में लौटी सोने-चांदी की चमक
पिछले कुछ महीनों से सन्नाटे में डूबे रहने वाला शहर का सर्राफा बाजार फिर से दमक उठा है। दीपोत्सव का पर्व नजदीक आने के साथ ही दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ होने लगी है। महिलाएं नई डिजाइन की चूडिय़ों, झुमकों और हार सेट को देखने में व्यस्त नजर आने लगी हैं। चांदी के सिक्कों और लक्ष्मी-गणेश प्रतिमाओं की बिक्री भी शुरू हो गई है। व्यापारी व्यापारी वर्धमान बताते हैं कि इस बार त्योहारी मौसम में लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक अधिक कारोबार होने की उम्मीद है। बाजार अब फिर से चमकने लगा है।
मिठाई और बर्तन बाजारों में बढ़ी चहल-पहल
दीपावली नजदीक आने के साथ ही शहर की गलियों में इस समय घी, खोवा और चाशनी की खुशबू हवा में घुलने लगी है। मिठाई की दुकानों पर भी अब ज्यादा चहल-पहल होने लगी है। खरीदारों के बीर्च रसगुल्ला, केसर बर्फी और रस माधुरी की मांग बनी हुई है। मिठाई बाजार के साथ ही बर्तन बाजार में भी खरीदारों के पहुंचने से दुकानदार उत्साहित हैं। लोग तांबे, स्टील और चांदी के बर्तनों की खरीद में जुटे हैं। दुकानदारों का कहना है कि इस बार दीवाली से पहले ही बिक्री पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है।

पंसारी बाजार में दीयों और रंगोली की जगमगाहट
शहर का पंसारी बाजार भी इस समय रंगीन और चमकदार नजर आने लगा है।गांधी चौक में जहां मिट्टी के दीयों की कतारें सजी-धजी ग्राहकों को लुभाने लगी है, पंसारी बाजार में रंगोली के पैकेट, सुगंधित धूपबत्तियाँ और पूजा सामग्री की स्टॉल पर खरीदार एवं दुकानदार दोनो ही व्यस्त नजर आने लगे हैं। बाजारों में मिट्टी के दीयों के साथ ही रंगीन झालरों की भी अब खरीद होने लगी है।

रोशनी से नहाया शहर
किले की ढाल से लेकर सदर बाजार तक रात्रि में शहर अब इस समय दीपोत्सव के रंग में बदला नजर आने लगा है। रंग-बिरंगी झालरों से निकलती रोशनी के बीच बाजारों में बढ़ती खरीदारों की भीड़ से माहौल अब पूरी तरह से बदल चुका है। दुकानदार जहां लोगों की भीड़ से बेहतर व्यापार होने की उम्मीद से उत्साहित हैं, वहीं खरीदारों की चहल-पहल बढऩे से बाजार का रंग अब पूरी तरह से उत्साह के रंग में रंगा हुआ नजर आने लगा है।

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jaisalmer bus fire accident चिकित्सा और पुलिस प्रशासन ने शुरू कीं ये तैयारी

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Nagaur patrika…प्लास्टिक विरोधी अभियान में एक क्विंटल प्रतिबंधित पॉलिथिन-सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद जब्त, कई दुकानों पर कार्रवाई…VIDEO

नागौर. शहर में सिंगल यूज प्लास्टिक और प्रतिबंधित पॉलिथिन के खिलाफ नगरपरिषद की ओर से मंगलवार को विशेष अभियान चलाया गया। अभियान का नेतृत्व नगरपरिषद आयुक्त गोविंद सिंह भींचर ने किया। इस दौरान परिषद की टीम ने दिल्ली दरवाजा, गांधी चौक और पुराने शहर के क्षेत्रों में दुकानों और प्रतिष्ठानों की तलाशी ली। इस दौरान कुछ दुकानदारों ने इस कार्यवाही का विरोध किया तो उनसे समझाइश की गई कि वह प्रतिबंधित पालीथिन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल या बिक्री नहीं करें, और पर्यावरण को बेहतर करने में सहयोग करने का काम करें। निरीक्षण के दौरान टीम को कई स्थानों पर सिंगल यूज प्लास्टिक के ग्लास, थालियां और पॉलिथिन बैग मिले। कार्रवाई के तहत करीब एक क्विंटल प्रतिबंधित प्लास्टिक उत्पाद जब्त किए गए। टीम ने लगभग एक दर्जन दुकानों पर जांच की और कई स्थानों पर चेतावनी भी दी। इसी तरह संजय सर्किल और बीकानेर रेलवे फाटक के पास हाथ ठेला विक्रेताओं से करीब 900 ग्राम प्रतिबंधित पॉलिथिन जब्त की गई। उन्होंने कहा कि नगरपरिषद का यह अभियान आगे भी जारी रहेगा , और भविष्य में दोबारा उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

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jaisalmer bus fire accident चलती बस में लगी भीषण करीब 20 लोगों की मौत की आशंका, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया मौके का हाल

jaisalmer bus fire accident जैसलमेर से जोधपुर जा रही निजी बस में मंगलवार करीब साढ़े तीन बजे आग लगी। हादसे में बस में सवार यात्री गंभीर रूप से झुलस गए। इस भीषण हादसे में करीब 20 जनों की मौत की आशंका जताई जा रही है। हालांकि अभी इसे लेकर कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है। कुछ प्रत्यक्षदर्शी भी ऐसी ही आशंका जता रहे हैं।

एसी में शॉर्ट सर्किट !

हादसे का कारण प्रारम्भिक तौर पर एसी में शॉर्ट सर्किट होना बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार मंगलवार करीब 3 बजे यह बस जैसलमेर से जोधपुर के लिए रवाना हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रास्ते में करीब 20 किलोमीटर दूर जोधपुर मार्ग पर बस के पिछले हिस्से में धुआं निकलना शुरू हुआ, जिसने देखते ही भीषण आग का रूप ले लिया। देखते ही देखते पूरी बस आग का गोला जैसी नजर आने लगी। बस में सवार कई लोगों ने खिड़कियों से कूद कर जान बचाई।

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पुष्य नक्षत्र पर ग्राहकी से गुलजार होंगे जैसलमेर के बाजार

जगमग रोशनी का पांच दिनी महापर्व दिवाली अब महज चंद दिनों के फासले पर है। इस मौके पर खरीदारों का हुजूम बाजारों में उमड़ता है। इससे पहले इस बार 14 व 15 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र होने से व्यापारियों की उम्मीदें परवान पर हैं। पुष्य नक्षत्र व्यापार के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है। इस अवसर पर जैसलमेर के बाजारों में ग्राहकी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। एक अनुमान के अनुसार इस मौके पर 10 से 15 करोड़ का व्यवसाय होने की उम्मीद है। शहर के सर्राफा, कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर और वाहन बाजारों में रौनक लौट आई है। दुकानदारों ने खास छूट, ऑफर और सजावट के साथ ग्राहकों को आकर्षित करने की तैयारी कर ली है।

दिखने लगी तैयारियां

पुष्य नक्षत्र को नए सामान, विशेषकर सोना, चांदी, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स और गृह उपयोगी वस्तुओं की खरीदी के लिए शुभ माना जाता है। इसी कारण जैसलमेर के मुख्य बाजार यथा सदर बाजार, कचहरी मार्ग, आसनी पथ, गुलासतला, पुराना ग्रामीण बस स्टैंड, मानक चौक, गीता आश्रम चौराहा आदि पर पर्व की रौनक दिखाई देने लगी है। शोरूम और दुकानों के बाहर रोशनी, तोरण से सजे प्रवेशद्वार ग्राहकों का स्वागत करेंगे।

यहां रहेगा ग्राहकी का जोर

  • सर्राफा बाजार में इन दिनों हल्के वजन लेकिन आकर्षक डिजाइन के गहनों की मांग है। सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि सोने-चांदी की दरों में लगातार बढ़ोतरी के चलते लोग निवेश के नजरिए से भी खरीदी कर रहे हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में एलईडी टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और मोबाइल फोन पर विशेष छूट की घोषणाएं ग्राहकों को लुभा रही हैं।
  • जीएसटी दरों में कमी के कारण दुपहिया और चार पहिया वाहनों के प्रति रुझान इस बार ज्यादा है।
  • कपड़ा बाजार में पारंपरिक परिधानों और साड़ी-सूट के नए कलेक्शन ने युवतियों और महिलाओं का ध्यान खींचा है। शहर के फर्नीचर और सजावट की दुकानों पर भी खरीदारों की भीड़ आने का अनुमान है। दुकानदार संजीव भाटिया का मानना है कि इस बार पुष्य नक्षत्र और दिवाली के बीच का अंतर कम होने से खरीदी का सिलसिला लगातार तेज रहेगा। व्यापारी रामकिशोर के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस बार 30 से 40 प्रतिशत अधिक कारोबार होने की संभावना है।

पुष्य नक्षत्र में खरीदारी शुभ व लाभकारी

दिवाली पर्व से पहले खरीददारी का श्रेष्ठ मुहूर्त पुष्य नक्षत्र 14 अक्टूबर, मंगलवार को दोपहर 11.55 से प्रारंभ होकर 15 अक्टूबर बुधवार को दोपहर 12.00 तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र को खरीददारी के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पुष्य नक्षत्र अंतर्गत की गई खरीददारी स्थाई व लाभकारी रहती है। इस काल में सोने-चांदी के आभूषण, जवाहरात, वाहन, भूमि, भवन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं सहित अन्य वस्तुओं की खरीदारी श्रेष्ठ कही गई है।

  • उमेश आचार्य, ज्योतिषाचार्य

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रेगिस्तानी इलाकों में आग से जंग, चारों दिशाओं में नहीं दमकल वाहन

रेगिस्तान की गोद में बसे जैसलमेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल आग लगने की घटनाएं जान-माल के नुकसान का बड़ा कारण बन रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते आज भी दर्जनों कस्बे और सैकड़ों गांव अग्निशमन वाहन जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। दीपावली पर्व नजदीक है, ऐसे में चिंता होना लाजमी है। रामदेवरा, नाचना, मोहनगढ़ और पोकरण जैसे बड़े धार्मिक व प्रशासनिक केंद्रों में दमकल वाहनों की कमी से आए दिन आग लगने की घटनाएं विकराल रूप ले रही हैं।

रामदेवरा: स्थायी दमकल नहीं, श्रद्धालु व व्यापारी असुरक्षित

रामदेवरा कस्बे की आबादी करीब 11 हजार है, साथ ही यह लोकदेवता बाबा रामदेव का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां वर्षभर हजारों श्रद्धालु आते हैं। भादवा मेले के दौरान 30 से 40 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं, तब यह कस्बा महानगर का रूप ले लेता है। इसके बावजूद यहां स्थायी दमकल वाहन नहीं है। मेले के समय अस्थायी रूप से पोकरण व जैसलमेर से दमकल मंगाई जाती है, जबकि आम दिनों में आग की घटनाओं में लाखों का नुकसान होता है। साल 2019 में यहां 30 से अधिक दुकानें जलकर राख हो गई थीं। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने स्थल का दौरा कर दमकल की घोषणा की थी, लेकिन आज तक फायर ब्रिगेड नहीं पहुंचा।

नाचना: हर साल दर्जनों अग्निकांड, वन क्षेत्र जलकर राख

नाचना पंचायत समिति में 20 ग्राम पंचायतें और 78 गांव शामिल हैं, पर यहां भी दमकल वाहन नहीं है। इंदिरा गांधी नहर के किनारे सैकड़ों बीघा में नर्सरियां हैं, जहां हर वर्ष आग लगने से लाखों की वन संपदा नष्ट होती है। आग लगने पर ग्रामीण खुद पानी के टैंकरों से आग बुझाने का प्रयास करते हैं। नाचना से पोकरण की दूरी 80 किलोमीटर और जैसलमेर की 120 किलोमीटर है। इस वजह से दमकल को घटनास्थल तक पहुंचने में दो से चार घंटे लग जाते हैं।

मोहनगढ़: 15 साल से इंतजार, हर घटना में लाखों का नुकसान

मोहनगढ़ क्षेत्र में भी दमकल का अभाव है। यहां आग लगने की घटनाएं आम बात हो चुकी हैं। वन भूमि, खेतों, बाजारों और कॉलोनियों में कई बार आग लग चुकी है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ। हर बार ग्रामीण, सेना और पुलिस के सहयोग से आग पर काबू पाया जाता है। मोहनगढ़ जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर है। जब तक दमकल वहां पहुंचती है, तब तक सब कुछ जलकर राख हो जाता है। ग्रामीणों ने 12 वर्ष से अधिक समय से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है, लेकिन समाधान नहीं हुआ। वर्ष 2011 और 2021 में हुई बड़ी घटनाओं में सैकड़ों दुकानें, केबिन, ठेले और मशीनरी जलकर नष्ट हो चुके हैं।

पोकरण: 300 गांव, केवल एक दमकल वाहन

पोकरण और भणियाणा उपखण्ड क्षेत्र में 300 से अधिक गांव हैं, लेकिन यहां केवल एक बड़ा और एक छोटा अग्निशमन वाहन है। उत्तर दिशा में जालूवाला जैसे गांव 150 किमी दूर हैं, जबकि दक्षिण दिशा में मानासर 100 किमी दूर है। आग की घटनाओं के दौरान दमकल के पहुंचने से पहले ही अधिकांश जगहों पर सबकुछ जल जाता है। नगरपालिका को वाहन भेजने पर ईंधन का खर्च भी खुद वहन करना पड़ता है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। छोटे आकार के दमकल वाहन या मोटरसाइकिल दमकल न होने से कस्बे के संकरे रास्तों में आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। रेगिस्तानी इलाकों के इन कस्बों और गांवों में अग्निशमन वाहन की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही है।

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थाली से गायब होती ‘काचरी’, फास्ट फूड के चलन से युवा पीढ़ी को नहीं आ रही रास

ग्रामीण इलाकों की पहचान और पारंपरिक देसी थाली का अहम हिस्सा रही काचरी और ग्वार फली की सब्जियां अब लोगों की रसोई से गायब होले लगी है। कभी खेतों में सहजता से उगने वाली और पोषक तत्वों से भरपूर काचरी अब न बाजारों में दिखती है और न ही नई पीढ़ी की थाली में। पहले यह हर घर की पसंदीदा सब्जी थी, मगर अब यह बुजुर्गों की यादों और कुछ घरों तक सीमित रह गई है। काचरी, जिसका वैज्ञानिक नाम माउस मेलन है, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होती है। यह पाचन के लिए लाभकारी और कई बीमारियों से सुरक्षा देने वाली देसी सुपरफूड मानी जाती है। बावजूद इसके, नई पीढ़ी इसका सेवन भूल चुकी है। फास्ट फूड और चाइनीज व्यंजनों की बढ़ती लोकप्रियता ने देसी स्वाद को धीरे-धीरे पीछे धकेल दिया है। पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार जंक फूड खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है, जबकि काचरी जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थ प्राकृतिक इम्यूनिटी बढ़ाते हैं।

कभी थी हर खेत की पहचान
बुजुर्ग बताते है कि पहले काचरी और ग्वार की फली खेतों में अपने आप उग आती थी। ग्रामीण इन्हें एकत्र कर सुखाकर सालभर उपयोग करते थे। इससे बनी चटनी और सब्जी हर भोजन में स्वाद बढ़ाने का काम करती थी। आज खेतों में आधुनिक खेती पद्धति और रासायनिक खादों के कारण देसी सब्जियों की प्राकृतिक पैदावार लगभग खत्म हो चुकी है।

औषधीय गुणों से भरपूर
काचरी में मौजूद औषधीय तत्व पेट दर्द, गैस और मोटापे जैसी समस्याओं को कम करने में मददगार हैं। इसका पाउडर आज भी राजस्थानी व्यंजनों में स्वाद और स्वास्थ्य दोनों का संतुलन बनाए रखता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पारंपरिक फसलों को दोबारा उगाने और प्रोत्साहित करने पर ध्यान दिया जाए, तो न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बल्कि सेहतमंद खानपान की परंपरा भी फिर से लौट सकती है।

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